Sunday, August 23, 2009

समर्पण

समर्पण
कर दीजिये पूर्ण समर्पण अंहकार का
अपने प्रभु के सामने
देखिये फिर कृपा उसकी
क्या मिले संसार मे.
सबसे पहले शान्ति मिलती
फिर मिलता खजाना संतोष का
.जब त्यागी पर निंदा तुमने
प्रभु दोस्ती का संग मिला.
क्या खोया,क्या पाया
समर्पण मे न विचारिये
व्यापार नहीं है प्रभु भक्ति
बस देने का भाव लाइए

डॉ अ किर्तिवर्धन

Thursday, August 6, 2009

शब्दों मे

मैंने शब्दों में

भगवान को देखा

शैतान को देखा

आदमी तोबहुत देखे

पर

इंसान कोई कोई देखा।

इन्ही सब्दों में

मैंने प्यार को देखा

कदम कदम पर अंहकार भी देखा

धर्मात्मा तो बहुत देखे

पर

मानवता की खातिर

मददगार कोई कोई देखा।

इन्ही सब्दों में

मैंने चाह देखी

भगवान् पाने की

बुलंदियों पर जाने की

गिरते हुए भी मैंने बहुत देखे

पर गिरते को उठाने वाला

कोई कोई देखा।

इन्ही शब्दों में

भ्रष्टाचार को महिमा मंडित करते देखा

नारी की नग्नता को प्रदर्शित करते देखा

पर निर्लाजता पर चोट करते

कोई कोई देखा।

इन्हीशब्दों में

कामना करता हूँ इश्वर से

मुझे शक्ति दे

लेखनी मेरी चलती रहे

पर पीडा में लिखती रहे

पाप का भागी में banu

यश का भागी इश्वर रहे.

Saturday, August 1, 2009

मम्मी मुझे बताओ कैसे?

मम्मी मुझे बताओ कैसे?
कैसे आते आम पेड़ पर
और जमीन मे आलू
मम्मी मुझे बताओ कैसे
नाचे कूदे भालू?

कैसे आता चाँद गगन मे
और नीलगगन मे तारे
मम्मी मुझे बताओ कैसे
सूरज लाता भोर उजारे?

मैंने देखा चिडिया को
सुबह सवेरे आती
मम्मी मुझे बताओ कैसे
चिडिया इतना मीठा गाती?

कैसे बादल उडे गगन मे
फिर बरसी वरखा रानी
मम्मी मुझे बताओ कैसे
भीगे नाना नानी?
कैसे पंछी उडे गगन मे
और जमीन पर आते
मम्मी मुझे बताओ कैसे
पर्वत ऊँचे होते जाते?
डॉ अ किर्तिवर्धन
09911323732