Saturday, August 21, 2010

शब्दों मे

मैंने शब्दों में

भगवान को देखा

शैतान को देखा

आदमी तोबहुत देखे

पर

इंसान कोई कोई देखा।

इन्ही सब्दों में

मैंने प्यार को देखा

कदम कदम पर अंहकार भी देखा

धर्मात्मा तो बहुत देखे

पर

मानवता की खातिर

मददगार कोई कोई देखा।

इन्ही सब्दों में

मैंने चाह देखी

भगवान् पाने की

बुलंदियों पर जाने की

गिरते हुए भी मैंने बहुत देखे

पर गिरते को उठाने वाला

कोई कोई देखा।

इन्ही शब्दों में

भ्रष्टाचार को महिमा मंडित करते देखा

नारी की नग्नता को प्रदर्शित करते देखा

पर निर्लाजता पर चोट करते

कोई कोई देखा।

इन्हीशब्दों में

कामना करता हूँ इश्वर से

मुझे शक्ति दे

लेखनी मेरी चलती रहे

पर पीडा में लिखती रहे

पाप का भागी में banu

यश का भागी इश्वर रहे.

शब्दों मे

Sunday, August 15, 2010

पाकिस्तानी चाहत

पाकिस्तानी चाहत
तिल का ताड़ बनाते हैं हम
बस अपनी बात सुनते हैं हम
हमको क्या लेना आपके जख्मों से
बस अपना दर्द सुनाते हैं हम.

हमदर्दी पाते हैं महफ़िल मे जाकर हम
सौगातें लाते हैं अपना दर्द दिखाकर हम
क्या रखा है नंगी सच्चाई बतलाने मे
चापलूसी से गैरों मे भी शामिल हो जाते हैं हम.
अपनी बातों से दिन को रात जताते हैं हम
आतंकवाद को आज़ादी की लड़ाई बताते हैं हम
यकीं करता है दुनिया का बादशाह हम पर
अपने घर मे आशियाँ उसका बनवाते हैं हम.
मुल्क ही नहीं कौमों को भी लड़वाते हैं हम
आग लगी गर कहीं हाथ सेकने जाते हैं हम
आप यकीं करें या न करें क्या फर्क पड़ता है
आतंकवाद से लड़ने के सिरमौर कहाए जाते हैं हम.
अपना बस एक ही सिद्धांत बनाते हैं हम
सत्ता बस बनी रहे जोड़ तोड़ करते हैं हम
बेनजीर या नवाज़ ,मुसर्रफ ,क्या फर्क पड़ता है
देश के मुखिया बने रहें जतन लड़ते हैं हम.
सच है अपने घर मे बेगाने हो जाएंगे हम
दिया आज आशिआना उसको कल मालिक बनायेंगे हम
हमें कौन हज़ार साल जिन्दा रहना है
इतिहास मे अपना नाम लिखा जाएंगे हम.
गुमनामी मे नहीं मरना चाहते हैं हम
दुनिया सदा याद करे कुछ ऐसा चाहते हैं हम
सच्ची राहों से शोहरत मिला नहीं कराती
कड़वी सच्चाई कैसे तुम्हे बताये हम?
आतंकवाद के सभी गुटों को पालें हैं हम
चीन और अमेरिका को एक साथ साधे हैं हम
कभी बताते हिंद को मानवाधिकारों का दुश्मन
कभी कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताते हैं हम.
इस्लाम का साम्राज्य दुनिया मे चाहते हैं हम
उसके भी मुखिया बनना चाहते हैं हम
पैगम्बर के बाद किसी को कोई माने
ऐसी छवि जग मे अपनी चाहते हैं हम.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

पाकिस्तानी चाहत

पाकिस्तानी चाहत
तिल का ताड़ बनाते हैं हम
बस अपनी बात सुनते हैं हम
हमको क्या लेना आपके जख्मों से
बस अपना दर्द सुनाते हैं हम.

हमदर्दी पाते हैं महफ़िल मे जाकर हम
सौगातें लाते हैं अपना दर्द दिखाकर हम
क्या रखा है नंगी सच्चाई बतलाने मे
चापलूसी से गैरों मे भी शामिल हो जाते हैं हम.
अपनी बातों से दिन को रात जताते हैं हम
आतंकवाद को आज़ादी की लड़ाई बताते हैं हम
यकीं करता है दुनिया का बादशाह हम पर
अपने घर मे आशियाँ उसका बनवाते हैं हम.
मुल्क ही नहीं कौमों को भी लड़वाते हैं हम
आग लगी गर कहीं हाथ सेकने जाते हैं हम
आप यकीं करें या न करें क्या फर्क पड़ता है
आतंकवाद से लड़ने के सिरमौर कहाए जाते हैं हम.
अपना बस एक ही सिद्धांत बनाते हैं हम
सत्ता बस बनी रहे जोड़ तोड़ करते हैं हम
बेनजीर या नवाज़ ,मुसर्रफ ,क्या फर्क पड़ता है
देश के मुखिया बने रहें जतन लड़ते हैं हम.
सच है अपने घर मे बेगाने हो जाएंगे हम
दिया आज आशिआना उसको कल मालिक बनायेंगे हम
हमें कौन हज़ार साल जिन्दा रहना है
इतिहास मे अपना नाम लिखा जाएंगे हम.
गुमनामी मे नहीं मरना चाहते हैं हम
दुनिया सदा याद करे कुछ ऐसा चाहते हैं हम
सच्ची राहों से शोहरत मिला नहीं कराती
कड़वी सच्चाई कैसे तुम्हे बताये हम?
आतंकवाद के सभी गुटों को पालें हैं हम
चीन और अमेरिका को एक साथ साधे हैं हम
कभी बताते हिंद को मानवाधिकारों का दुश्मन
कभी कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताते हैं हम.
इस्लाम का साम्राज्य दुनिया मे चाहते हैं हम
उसके भी मुखिया बनना चाहते हैं हम
पैगम्बर के बाद किसी को कोई माने
ऐसी छवि जग मे अपनी चाहते हैं हम.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

dard

कुछ लोग जहाँ मे यूँ भी मुस्कराते हैं
अपने ही जख्मों मे खुद नश्तर लगते हैं.
लेते हैं इम्तिहान वो अपने दर्द का
आँखों मे आंसू पर मुस्कराते हैं.
मैंने भी अपने उर मे,कुछ दर्दों को पाला है
हवा दी तनहाइयों को,तब दर्द संभाला है.
डॉ अ कीर्ति वर्धन
09911323732
post scrap cancel

dard

कुछ लोग जहाँ मे यूँ भी मुस्कराते हैं
अपने ही जख्मों मे खुद नश्तर लगते हैं.
लेते हैं इम्तिहान वो अपने दर्द का
आँखों मे आंसू पर मुस्कराते हैं.
मैंने भी अपने उर मे,कुछ दर्दों को पाला है
हवा दी तनहाइयों को,तब दर्द संभाला है.
डॉ अ कीर्ति वर्धन
09911323732
post scrap cancel

दर्द

तिरंगा

स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं
तिरंगा
तीन रंग मे रंग हुआ है,मेरे देश का झंडा
केसरिया,सफ़ेद और हरा,मिलकर बना तिरंगा.
इस झंडे की अजब गजब,तुम्हे सुनाऊं कहानी
केसरिया की शान है जग मे,युगों-युगों पुरानी.
संस्कृति का दुनिया मे,जब से है आगाज़ हुआ
केसरिया तब से ही है,विश्व विजयी बना रहा.
शान्ति का मार्ग बुद्ध ने,सारे जग को दिखलाया
धवल विचारों का प्रतीक,सफ़ेद रंग कहलाया.
महावीर ने सत्य,अहिंसा,धर्म का मार्ग बताया
शांत रहे सम्पूर्ण विश्व,सफ़ेद धवज फहराया.
खेती से भारत ने सबको,उन्नति का मार्ग बताया
हरित क्रांति जग मे फैली,हरा रंग है आया.
वसुधैव कुटुंब मे कोई.कहीं रहे न भूखा
मानवता जन-जन मे व्यापे,नहीं बढ़ नहीं सुखा.
अशोक्माहन हुआ दुनिया मे,धर्म सन्देश सुनाया
सावधान चोबिसों घंटे,चक्र का महत्व बताया.
नीले रंग का बना चक्र,हमको संदेशा देता
नील गगन से बनो विशाल,सदा प्रेरणा भरता.
तिरंगा है शान हमारी,आंच न इस पर आये
अध्यात्म भारत की देन,विजय धवज फहराए.

डॉ.अ.कीर्तिवर्धन
09911323732

Saturday, August 14, 2010

गंगा

गंगा

जिसमे तर्पण करते ही पुरखें भी त़िर जाते हैं
मानव की तो बात है क्या,देव भी शीश झुकाते हैं.
मैं गंगा हूँ
मेरा अस्तित्व
कोई नहीं मिटा सकता है.
मैं ब्रह्मा के आदेश से
स्रष्टि के कल्याण के लिए उत्तपन हुई.
ब्रह्मा के कमंडल मे ठहरी
भागीरथ की प्रार्थना पर
आकाश से उतरी.
शिव ने अपनी जटाओं मे
मेरे वेग को थामा,
गौ मुख से निकली तो
जन-जन ने जाना.
मैं बनी हिमालय पुत्री
मैं ही शिव प्रिया बनी
धरती पर आकर मैं ही
मोक्ष दायिनी गंगा बनी.
मेरे स्पर्श से ही
भागीरथ के पुरखे तर गए
और भागीरथ के प्रयास
मुझे भागीरथी बना गए.
मैं मचलती हिरनी सी
अलखनंदा भी हूँ.
मैं अल्हड यौवना सी
मन्दाकिनी भी हूँ.
यौवन के क्षितिज पर
मैं ही भागीरथी गंगा बनी हूँ.
मैं कल-कल करती
निर्मल जलधार बनकर बहती
गंगा
हाँ मैं गंगा हूँ.
दुनिया की विशालतम नदियाँ
खो देती हैं
अपना वजूद
सागर मे समाकर.
और मैं गंगा सागर मे समाकर
सागर को भी देती हूँ नई पहचान
गंगा सागर बनाकर.

डॉ अ कीर्तिवर्धन.
9911323732

Sunday, August 8, 2010

आओ एक इतिहास रचाएं

आओ एक इतिहास रचाएं
अमावस्या के गहन अंधकार मे
आशाओं के दीप जलाकर
इस धरती पर स्वर्ग बनायें
आओ एक इतिहास रचाएं.
एक बालक को शिक्षित करके
शिक्षा का एक दीप जलाकर
शिक्षित भारत देश बनायें
आओ एक इतिहास रचाएं.
इस धरती पर वृक्ष लगाकर
धरती माँ को गहने पहनाकर
प्रदुषण को दूर भगाएं
आओ एक इतिहास रचाएं.
युद्ध उन्मादी लोगों को भी
शान्ति का पाठ पढ़ाकर
विश्व विजय अभियान चलायें
आओ एक इतिहास रचाएं.
मानव सेवा धर्म बनाकर
सात्विकता जीवन मे लायें
जात-पात का भेद मिटाकर
आओ एक इतिहास रचाएं.
आतंकवाद के कठिन दौर मे
एक संकल्प अभियान चलाकर
मानवता का पाठ पढ़ाएं
आओ एक इतिहास रचाएं
भ्रष्ट आचरण की आंधी मे,
नैतिकता के दीप जलाकर
राम राज को फिर ले आयें
आओ एक इतिहास रचाएं.
जनसंख्या नियंत्रित करने को
निज देश समृद्ध करने को
शिक्षित समाज निर्माण कराएँ
आओ एक इतिहास रचाएं.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732