Sunday, August 23, 2009

समर्पण

समर्पण
कर दीजिये पूर्ण समर्पण अंहकार का
अपने प्रभु के सामने
देखिये फिर कृपा उसकी
क्या मिले संसार मे.
सबसे पहले शान्ति मिलती
फिर मिलता खजाना संतोष का
.जब त्यागी पर निंदा तुमने
प्रभु दोस्ती का संग मिला.
क्या खोया,क्या पाया
समर्पण मे न विचारिये
व्यापार नहीं है प्रभु भक्ति
बस देने का भाव लाइए

डॉ अ किर्तिवर्धन

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