जो गद्दार हैं
अपने आप को
अवसरवादी बता रहे हैं
अर्थात
शब्दों के खेल में
अपनी
असलियत छिपा रहे हैं।
ऐसे ही लोग
देश के रहनुमा बनते जा रहे हैं।
Wednesday, November 5, 2008
Tuesday, October 7, 2008
छोटी सी चिंगारी
अमावस्या के गहन अन्धकार मे
छोटे छोटे दीप जलाना
मानव का सपना होता है
अन्धकार को पूर्ण मिटाना।
एक छोटी सी चिंगारी
अन्धकार की हँसी उडाती है
दूर कहीं से दिख जाती है
आशा की राह बताती है।
अन्धकार अपने यौवन पर
चिंगारी का शैशव है
फिर भी वह न जीत सका
यह अच्छाई का गौरव है।
जीवन के हर पल मे तुम भी
नैतिकता के दीप जलाओ
निराश भाव को दूर भगा कर
घर घर मे उजियारा लाओ।
भ्रष्ट आचरण की आंधी मे
सच्चाई की जोत जलाकर
अपने उत्तम कार्यों द्बारा
अच्छाई को अमित बनाओ.
सुख समृधि की अभिलाषा मे
पाप को तुम न गले लगाओ
अच्छाई की चिंगारी बनकर
भटको को तुम राह दिखाओ।
मानव का सपना पूरा करने को
shiksha के तुम दीप जलाओ
अ ज्ञान को पूर्ण मिटा कर
राम राज को फिर ले aao.
छोटे छोटे दीप जलाना
मानव का सपना होता है
अन्धकार को पूर्ण मिटाना।
एक छोटी सी चिंगारी
अन्धकार की हँसी उडाती है
दूर कहीं से दिख जाती है
आशा की राह बताती है।
अन्धकार अपने यौवन पर
चिंगारी का शैशव है
फिर भी वह न जीत सका
यह अच्छाई का गौरव है।
जीवन के हर पल मे तुम भी
नैतिकता के दीप जलाओ
निराश भाव को दूर भगा कर
घर घर मे उजियारा लाओ।
भ्रष्ट आचरण की आंधी मे
सच्चाई की जोत जलाकर
अपने उत्तम कार्यों द्बारा
अच्छाई को अमित बनाओ.
सुख समृधि की अभिलाषा मे
पाप को तुम न गले लगाओ
अच्छाई की चिंगारी बनकर
भटको को तुम राह दिखाओ।
मानव का सपना पूरा करने को
shiksha के तुम दीप जलाओ
अ ज्ञान को पूर्ण मिटा कर
राम राज को फिर ले aao.
Monday, October 6, 2008
कलियुग मे भगवान
त्रेता युग मे राम हुए थे
रावण का संहार किया
द्वापर मे श्री कृष्ण आ गए
कंस का बंटाधार किया ।
कलियुग भी है राह देखता
किसी राम कृष्ण के आने की
भारत की पावन धरती से
दुष्टों को मार भगाने की।
आओ हम सब राम बनें
कुछ लक्ष्मण सा भाव भरें
नैतिकता और बाहुबल से
आतंकवाद को खत्म करें।
एक नहीं लाखों रावण हैं
जो संग हमारे रहते
दहेज -गरीबी- अ शिक्षा का
कवच चढाये बैठे हैं।
कुम्भकरण से नेता बैठे
स्वार्थों की रुई कान मे डाल
मारीच से छली अनेकों
राष्ट्र प्रेम का नही है ख्याल ।
शीघ्र एक विभिक्षण ढूँढो
नाभि का पता बताएगा
देश भक्ति के एक बाण से
रावण का नाश कराएगा।
रावण का संहार किया
द्वापर मे श्री कृष्ण आ गए
कंस का बंटाधार किया ।
कलियुग भी है राह देखता
किसी राम कृष्ण के आने की
भारत की पावन धरती से
दुष्टों को मार भगाने की।
आओ हम सब राम बनें
कुछ लक्ष्मण सा भाव भरें
नैतिकता और बाहुबल से
आतंकवाद को खत्म करें।
एक नहीं लाखों रावण हैं
जो संग हमारे रहते
दहेज -गरीबी- अ शिक्षा का
कवच चढाये बैठे हैं।
कुम्भकरण से नेता बैठे
स्वार्थों की रुई कान मे डाल
मारीच से छली अनेकों
राष्ट्र प्रेम का नही है ख्याल ।
शीघ्र एक विभिक्षण ढूँढो
नाभि का पता बताएगा
देश भक्ति के एक बाण से
रावण का नाश कराएगा।
आप सब को दशहरे के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ ।
अ.कीर्ति वर्धन
Saturday, September 6, 2008
PROFILE
NAME-A.KIRTIVARDHAN
ADDRESS-53,MAHALAXMI ENCLAVE
VIDHYALAXMI NIKETAN
JANSATH ROAD
MUZAFFARNAGAR-251001
0131-2604950,09911323732
PUBLISHED BOOKS-MERI UDAAN,SACHHAI KA PARICHAY PATRA
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JANSATH ROAD
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