Sunday, May 30, 2010

मेरा मन

मेरा मन
मैंने सुना
वृक्षों के नवांकुरित पत्तों का कलरव
वृद्ध पत्तों का सिंहनाद
पीत पत्तों का रुदन.
जिसने पुलकित कर डाला
मेरा मन.
विचारों कि उठती तरंग
जीवन का निष्ठुर अंत
हवा का झोंका
पानी मे तरंग
पानी मे झिलमिल
सूरज कि किरण
जीवंत हो उठा
मेरा मन.

डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२

जख्मों की दास्ताँ

जख्मों कि दास्ताँ
वक़्त ने जख्मों को मेरे
कुछ इस तरह सी दिया है
गर मखमल के गलीचे पर
टाट का पैबंद लगा दिया है.
जख्मों कि दास्ताँ अब
मेरे चेहरे से बयां है
भले ही जिंदगी कि खातिर
मैंने उनको भुला दिया है.
टूट कर जोड़े गए
शीशे के मानिंद
जिंदगी का हर लम्हा
मेरे जख्मों का गवाह है.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

Saturday, May 29, 2010

सपने का मेल

सपने का मेल
एक कला कौवा
छीन कर ले गया निवाला
उस बच्चे के हाथ से
जो दो दिन से था भूखा.
जिस निवाले को पाने कि खातिर
माँ से भी रूठा था
भाई से लड़ा था
भीख मांगी थी
सड़क पर भी पड़ा था.

कौवे के छिनने से निवाला
बच्चे को
जरा भी गुस्सा नहीं आया
वह अपनी भूख भी भूल गया
बस
कौवे को देखने मे मशगुल रहा.
उसे अच्छा लगा
कौवे का छिनना निवाला
फिर
दीवार पर बैठकर खाना.
उसके लिए यह एक खेल था
शायद
उसके सपनों का मेल था.

डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

Sunday, May 23, 2010

मेरा दर्द

मेरा दर्द

कुछ लोग जहाँ मे यूँ भी मुस्कराते हैं
अपने ही जख्मों मे खुद नश्तर लगते हैं
लेते हैं इम्तिहान वो अपने दर्द का
आँखों मे अंशु पर मुस्कराते हैं.
मैंने भी अपने दिल मे कुछ जख्मों को पाला है
हवा दी तन्हाइयों को,सिद्दत से दर्द संभाला है.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

Sunday, May 16, 2010

ख्वाब

ख्वाब ही हैं जो जिंदगी को जीना सिखा देते हैं
ख्वाब ही है जो मौत से भी लड़ना सिखा देते हैं
आप तो बस टूटे हुए ख्वाबों की बात करती हो
हम टूटे ख्वाब को भी,ख्वाब मे मुकम्मल बना देते हैं.
हम ख्वाब देखते हैं,पर हकीकत मे जिया करते हैं
ख्वाब को मंजिल नहीं रास्ता कहा करते हैं
आप ख्वाब देख कर ही ख्यालों मे खो जाते हो
हम ख्यालों को भी ख्वाब मे हकीकत बना देते हैं.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२