आस्था के फूल
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं.
लोग अपनों से छले जाते हैं जहाँ मे
छलने से फिर भी घबराते नहीं हैं.
आस्था को आधार बना आगे बढ़ाते जाते हैं
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं.
कुछ लोग बताते हैं "खुदा" खुद को मगर
"खुदा" की मौजूदगी को वो भी ठुकराते नहीं हैं.
तन्हाई मे करते हैं वो बंदगी "खुदा"की
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं.
साथ चलने की खाकर कसम,जिंदगी मे
रहबर छोड़ जाते हैं अक्सर मझधार मे.
इंतजार मे रहती आँखें खुली,मरते वक़्त
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं.
नए दोस्तों से बढाकर नजदीकियां
फिर नए रिश्ते हर पल बनाते हैं.
छलने वाले की बताते हैं मजबूरियां
आस्था के फूल कभी मुरझाते नहीं हैं.
Dr. A.Kirti vardhan
09911323732
http://kirtivardhan.blogspot.com/
"मुझे इंसान बना दो " किताब से
मूल्य १००/ रजिस्ट्री डाक से
Saturday, July 24, 2010
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1 comment:
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
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