अमावस्या के गहन अन्धकार मे
छोटे छोटे दीप जलाना
मानव का सपना होता है
अन्धकार को पूर्ण मिटाना।
एक छोटी सी चिंगारी
अन्धकार की हँसी उडाती है
दूर कहीं से दिख जाती है
आशा की राह बताती है।
अन्धकार अपने यौवन पर
चिंगारी का शैशव है
फिर भी वह न जीत सका
यह अच्छाई का गौरव है।
जीवन के हर पल मे तुम भी
नैतिकता के दीप जलाओ
निराश भाव को दूर भगा कर
घर घर मे उजियारा लाओ।
भ्रष्ट आचरण की आंधी मे
सच्चाई की जोत जलाकर
अपने उत्तम कार्यों द्बारा
अच्छाई को अमित बनाओ.
सुख समृधि की अभिलाषा मे
पाप को तुम न गले लगाओ
अच्छाई की चिंगारी बनकर
भटको को तुम राह दिखाओ।
मानव का सपना पूरा करने को
shiksha के तुम दीप जलाओ
अ ज्ञान को पूर्ण मिटा कर
राम राज को फिर ले aao.
Tuesday, October 7, 2008
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