Sunday, August 15, 2010

dard

कुछ लोग जहाँ मे यूँ भी मुस्कराते हैं
अपने ही जख्मों मे खुद नश्तर लगते हैं.
लेते हैं इम्तिहान वो अपने दर्द का
आँखों मे आंसू पर मुस्कराते हैं.
मैंने भी अपने उर मे,कुछ दर्दों को पाला है
हवा दी तनहाइयों को,तब दर्द संभाला है.
डॉ अ कीर्ति वर्धन
09911323732
post scrap cancel

No comments: