Saturday, May 2, 2009

समर्पण

कर दीजिये पूर्ण समर्पण
अंहकार का
अपने प्रभु के सामने
देखिये फिर कृपा उसकी
क्या मिले संसार मे।
सबसे पहले शान्ति मिलती
फिर मिलता खजाना
संतोष का,
जब त्यागी परनिंदा तूमने
प्रभु भक्ति का संग मिला।
क्या खोया,क्या पाया
समर्पण मे ना विचारिये
व्यापार नही है प्रभु भक्ति
बस देने का भाव लाईये।

डॉ.अ.कीर्तिवर्धन

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